ढमोला के किनारे बना दिया डंपिंग ग्राउंड, नदी हो रही जहरीली

सहारनपुर। गांव सराय में ढमोला नदी के किनारे डंपिंग ग्राउंड बनाकर रोजाना 125 मीट्रिक टन कूड़ा डाला जा रहा है। इस कारण नदी प्रदूषित हो रही है। नगर निगम के कर्मचारी यहां कचरे को जलाकर जहरीला धुआं फैला रहे हैं, जिससे वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। हैरत की बात ये है कि नगरायुक्त को भी इस डंपिंग ग्राउंड की जानकारी नहीं है। अब वे जांच की बात कह रहे हैं।
अमर उजाला की टीम ने मंगलवार को जनता रोड की ओर जा रहीं नगर निगम की कचरे से लदी गाड़ियों का पीछा किया। गाड़ियां शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर बायीं ओर जंगल में मुड़ गईं। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर चलने पर जो नजारा देखने को मिला, वह हैरान करने वाला था। यहां गांव सराय की जड़ में करीब दस बीघा जमीन पर लाखों टन कचरा बिखरा मिला, जिसमें जगह-जगह धुआं उठ रहा था। तीन जेसीबी कचरे को घसीटकर फैला रही थीं। एक के बाद दूसरी गाड़ी कचरा उतार रही थी। जैसे ही टीम गांव सराय की ओर बढ़ी, तो तस्वीर और हैरान करने वाली थी। दरअसल, गांव की जड़ से ढमोला नदी गुजर रही है, जिसके एकदम किनारे पर यह डंपिंग ग्राउंड बनाया गया है। कचरा डालने की वजह से नदी का पानी पूरी तरह काला हो चुका है, जबकि ठीक पीछे पानी साफ है। जिस जगह कचरा डंप किया जा रहा है, वह जगह आबादी से बमुश्किल 20 मीटर दूरी पर है। यानी कचरा निस्तारण के लिए जगह फाइनल करने में नगर निगम अधिकारियों ने न तो गांव देेखा, न नदी देखी और न ही अन्य नियमों का पालन किया। डंपिंग ग्राउंड नगर निगम सहारनपुर द्वारा 2016 में जारी किए गए विज्ञापन में दी गईं शर्तों से एकदम उलट है।
डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन तय करने के नियम
- नदी से 100 मीटर और तालाब से 200 मीटर दूरी होने चाहिए।
- राजमार्ग, आवासीय क्षेत्र, सार्वजनिक पार्क और जलापूर्ति कुएं से 200 मीटर दूरी।
- एयरपोर्ट या एयरबेस से 20 किलोमीटर दूरी।
- विशेष परिस्थितियों में एनओसी के साथ कम से कम 10 किलोमीटर दूरी।
- तटीय विनिमय जोन, नम भूमि महत्वपूर्ण आवासीय क्षेत्रों और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अनुमति नहीं।
जलीय जीवों पर असर
नदी किनारे कचरा डंप करने से जलीय जीवों की जान मुसीबत में है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले नदी में बड़ी संख्या में मछलियां और अन्य जलीय जीव थे। लोग प्रतिदिन मछलियां पकड़ा करते थे, मगर कचरा डालने के बाद से मछलियां कम हो गई हैं। पहले पानी इतना साफ था कि लोग नहाया करते थे, मगर अब नदी में घुसना मुश्किल है।
अन्य विभागों की भी लापरवाही उजागर
इस मामले में सिंचाई विभाग की भी लापरवाही सामने आ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जिस जगह पर कचरा डंप किया जा रहा है, वहां सिंचाई विभाग का भी बड़ा भूखंड है। मगर सिंचाई विभाग ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया है। इसके अलावा जिस तरह से नदी दूषित हो रही है और कचरा जलने से हवा में प्रदूषण फैलाया जा रहा है, उससे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की भी निष्क्रियता जाहिर हुई है।
ग्रामीणों ने किया था विरोध
गांव सराय निवासी मोनू ने बताया कि नगर निगम करीब दो महीने से कचरा डाल रहा है। जब पहले दिन कचरा डाला गया तो ग्रामीणों ने विरोध किया था। इसके बाद अधिकारियों ने पुलिस का खौफ दिखाकर ग्रामीणों को शांत करा दिया।
हिमांशु गौतम ने बताया कि कचरा डालने के पहले दिन से ही गांव में दुर्गंध, मक्खियों और अन्य कीट-पतंगों का प्रकोप है। लोग खुले में बैठकर भोजन नहीं कर सकते हैं। गांव में बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है।
दिनेश ने बताया कि ढमोला नदी का पानी पूरी तरह साफ था। जब से कचरा डाला जा रहा है, तब से नदी दूषित हो चुकी है। जलीय जीव मर रहे हैं। नगर निगम के कर्मचारी ही कचरे को जलाकर हवा में जहर घोल रहे हैं।
सुनील ने नगर निगम अधिकारियों पर ग्रामीणों की सेहत से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि आवारा कुत्ते दिन भर कचरे को खींचकर गांव में ला रहे हैं, जिससे गंदगी बढ़ रही है।
मुझे जानकारी नहीं : नगरायुक्त
डंपिंग ग्राउंड ढमोला नदी के तट और गांव सराय की बगल में बनाए जाने की मुझे जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो मामला गंभीर है। डंपिंग ग्राउंड के लिए कुछ शर्तें हैं, जिनका अनुपालन किया जाना जरूरी होता है। मामले की पड़ताल कराई जाएगी। जो भी लोग गलत जमीन के चयन में जिम्मेदार होंगे, उन पर कार्रवाई होगी।
- ज्ञानेंद्र सिंह, नगरायुक्त